सफ़र, खूबसूरत लम्हे, और एक अनसुनी प्रेम कहानी
सुबह के ख़्वाब सच नही होते
फूल डूब जाते हैं तैरते-तैरते
कुछ दिन ही तो बीते हैं बस इस बात को
एक सुबह के खूबसूरत ख़्वाब की ताबीर लिएचल पड़ा था उसके शहर को मैं
ज्यादा लंबा सफर नही था
उसके और मेरे शहर के बीच में
कुछ पाँच सौ मील ही तो थेसफ़र में रहने की तो आदत थी ही
सो ज्यादा सोचा नहीं मैंने
एक जीन्स और अपनी फेवरट सफेद शर्ट
बैग में डालकर निकल पड़ा थातोहफे के बारे में सोचा तो याद आया
कुमुद का फूल बेहद पसंद था उसे
कुछ 63 फूल मिले एक जगह पे
62 खूबसूरत लम्हों की यादों के साथ
लेके पहुंचा उसके होस्टल के बाहरफोन लगाया तो पता चला
लाइब्रेरी गयी है वो
कुछ समझ में ही नही आया
सपने में तो ऐसा कुछ हुआ ही नही था
जैसे-तैसे खुद को घसीटकरएक दरिया के किनारे ले ही आया खुदको
एक-एक करके सारे फूल फैंक दिए उसमें
एक आखरी फूल बचा लिया था बसकुछ भी तो नही लिखा था उसपे
वो सिर्फ उसके हिस्से का फूल था
बिल्कुल खाली बिना कोई लम्हें समेटे
मैं भी बिल्कुल उसी आखरी फूल की तरह
सुकुड़ता रहा सारी रात किनारे पे
सुबह के ख़्वाब सच नही होते
फूल डूब ही जाते हैं तैरते-तैरते 💕💕