रेलगाड़ी से दिन के उजालों में बाहर देखा तो दिख गए

रेलगाड़ी से दिन के उजालों में बाहर देखा तो दिख गए मज़बूरी और रफ्तार से हारे हुए कुछ हिस्से जिस्मों के एक शहर जो रेलगाड़ी में तबदील हो गया था एक मुद्दत से महरूम है उजालों से इस दौड़ते भागते शहर से बाहर देखो भी अगर तो सिवाए अंधेरे के […]

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